Monday, August 9, 2010

पुस्तक के बारे में...














  प्रातःकाल की  बेला थी,प्राची से रश्मि का उदय,सुबह-सुबह मैं बालकनी में बैठा भुवन भास्कर को निहार रहा था कि एकएक मुझे मेरे चहेते मित्र का स्मरण हुआ, मैंने उसको नमन किया और फिर मैं उसकी यादों में खो गया.उसके बाद मै अपने आप को असहज महसूस कर रहा था. मैंने कागज लिया, पेन्सिल उठाई और लिखना शुरू किया. बहुत दिन लिखने के बाद जो स्वरुप सामने आया वो "आखिर कब तक" के रूप में आपके सामने है. डा. शरद महाजन के अनुसार छत्रपति शिवाजी के संप्रेरक राष्ट्रगुरु रामदास स्वामी हम सभी को हर कम में सतर्कता बरतने का महत्वपूर्ण सन्देश देते है. उनके उदगार है,"प्रसंगोवश सदा रहे अखंड सावधान!!" हम हर कार्य को सावधानी से सूझबूझ से निभाए ताकि इश्वर द्वारा प्रदत्त यह संसार सुख-सुरक्षा तथा सुन्दरता का उपहार बन जाये.इसलिए हमें किसी भी प्रकार की कोई भूल करने की अनुमति नहीं है, बेहयाई एवं अविचार की जरूरत नहीं है. भूलों को दोहराने की इजाज़त नहीं है.किसी के लिए नहीं, स्वयं के खातिर ही सही हम यह स्वीकार करे कि हम पर्यावरण की रक्षा तथा औद्योगिक सुरक्षा(सेफ्टी) हेतु अखंड सावधानका मंत्र यद् रखेंगे. आज के समय में जल,वायु, भूमि को विभिन्न प्रकार से प्रदूषित किया जा रहा है.उसके संरक्षण एवं जनचेतना हेतु सेफ्टी एवं पर्यावरण के बिन्दुओं को स्पष्ट करते हुए मैंने "आखिर कब तक..." शीर्षक से एक पुस्तिका लिखी है.जिसका विमोचन दिनांक 12 -03-2007को राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह के समापन कार्यक्रम में मुख्यअतिथि बी.एस.एन.एल.टेलीकॉम फैक्ट्री के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक श्री के.के.सिन्हा,विशिष्ठअतिथि श्री मुकेशजैन,श्रीमती नमिता तिवारी,सहायक संचालक द्वय,औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ.श्री सिन्हा ने बताया कि सुरक्षा के लिए व्यापक चेतना जगाना जरूरी है.एस चेतना का अधिक से अधिक प्रसार करना हम सभी का दायित्व होना चाहिए.हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एस संसार में तभी तक है जब तक हमारा जीवन सुरक्षित है.पुस्तक की एक हज़ार प्रतियाँ वितरित के गई.पुस्तक माननीय राष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, अनेक केंद्र, राज्य मंत्रियों, सांसदों. विभिन्न संस्थाओंको प्रेषित की गई है.आपसे अनुरोध है की एस पुस्तक को पढ़कर आपके बहुमूल्य विचार/समीक्षा देने का कष्ट करे ताकि दूसरी आवृत्ति में आवश्यक सुधार किया जा सके.